गाय/भैंस का आहार दूध व्यवसाय का मुख्य भाग है । दूध उत्पादन की कुल लागत का 60-70 प्रतिशत खर्च पशु पोषण पर होता है। गायों एवं भैंसों के पोषण के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि संतुलित पशु आहार, खली, अनाज, चोकर, चुन्नी, मिनरल्स विटामिन्स और सूखा चारा एवं हरा चारा इत्यादि ।
जुगाली करने वाले पशुओं के पाचन तंत्र में एक अदभुत प्राकृतिक क्षमता होती है जिसके माध्यम से वे रेशेदार (फाइबरयुक्त) सुखा / हरा चारा जैसे खाद्य पदार्थों को अपनी अमाशय के विशिष्ट भाग रूमेन (Rumen) में मौजूद लाभकारी सुक्ष्मजीवियों की सहायता से पचाकर उसका उपयोग अपने शरीर एवं दूध उत्पादन में कर सकते है। दूधारू पशुओं का आहार (Ration) बनाते समय हमेशा उनकी जुगाली एवं रूमेन की शक्ति को ध्यान में रखना चाहिए।
सामान्यतः एक व्यस्क पशु को प्रतिदिन 6 किलों सूखा चारा, 15-20 किलो तक हरा चारा एवं दूध उत्पादन के हिसाब से अच्छी गुणवत्ता का संतुलित पशु आहार, मिनरल्स एवं विटामिन्स खिलाना चाहिए। जब आधी फसल में फूल आ जाए तब हरें चारे की फसल को काटकर खिलाना लाभदायक होता है, क्योकि इस अवस्था में उसमें अधिकतम पोषक तत्व होते है। हरे चारे की कमी की पूर्ति करने के लिए अतिरिक्त हरे चारे को गढ्ढे (साईलो) में दबाकर ‘साइलेज’ बनाना चाहिये। इस तरह से गर्मियों में या हरे चारे की कमी के समय दुधारू पशुओं को खिलाना लाभदायक होता है।
- पशुओं को स्वस्थ रखने व उनके दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए ‘संतुलित पशु आहार खिलाना आवश्यक है।
- पशुओं का आहार अचानक न बदल कर धीरे-धीरे बदलना चाहिए जिससे उसके पाचन तंत्र पर विपरीत प्रभाव ना हो।
- चारे को काटकर खिलाना लाभदायक होता है। सूखा चारा, हरा चारा, पशु आहार व खनिज मिश्रण मिलाकर (Total Mixed Ration) सानी बनाकर एक बार में न देकर, प्रतिदिन 3-4 बार में बॉटकर देना उपयुक्त होता है। सानी या TMR बनाने से आहार की बर्बादी कम होती है एवं पशु उसे चाव से खाता है जिससे पशु का दूध उत्पादन बढ़ता है एव पशु स्वस्थ रहता है।